Sunday, February 6, 2011

शिवजी की पंचामृत पुजा विधि

कामनाओं की पूर्ति के लिए
भगवान शिव की उपासना बहुत
ही फलदायी मानी गई है।
भगवान शिव की प्रसन्नता के
इन खास दिनों में सोमवार
का दिन बहुत महत्व रखता है।
शास्त्रों में अलग-अलग
कामनाओं की पूर्ति के लिए
शिव की अलग -अलग तरह
की पूजा बताई गई है। किंतु
सोमवार के दिन शिव
की पंचामृत पूजा हर
मनौती को पूरा करने
वाली मानी गई है। इस
पूजा में खासतौर पर शिव
को दूध, दही, घी, शक्कर और
शहद से स्नान
कराया जाता है। पंचामृत
स्नान व पूजा न केवल
मनौतियां पूरी करती है ,
बल्कि वैभव भी देती है। साथ
ही अनेक परेशानियों और
पीड़ा का अंत होता है।
भगवान शिव की पंचामृत
स्नान और पूजन का तरीका -
- सुबह जल्दी उठकर स्नान कर
स्वच्छ वस्त्र पहन घर
या देवालय में शिवलिंग के
सामने बैठें। - सबसे पहले
शिवलिंग पर जल और उसके बाद
क्रम से दूध , दही, घी, शहद
और शक्कर चढ़ाएं। हर
सामग्री के बाद शिवलिंग
का जल से स्नान कराएं।
पूजा के दौरान
पंचाक्षरी या षडाक्षरी मंत्र
ऊँ नम : शिवाय बोलते रहें। -
आखि़र में पांच
सामग्रियों को मिलाकर शिव
को स्नान कराएं। - पंचामृत
स्नान के बाद गंगाजल
या शुद्धजल से स्नान
कराएं। - पंचामृत पूजन के
साथ रुद्राभिषेक
पूजा शीघ्र मनोवांछित
फलदायक मानी जाती है। यह
पूजन किसी विद्वान
ब्राह्मण से
कराया जाना श्रेष्ठ
होता है। - पंचामृत स्नान
और पूजा के बाद पंचोपचार
पूजा करें। गंध , चंदन,
अक्षत, सफेद फूल और
बिल्वपत्र चढ़ाएं। नैवेद्य
अर्पित करें। - शिव की धूप
या अगरबत्ती और दीप से
आरती करें। - शिव
रुद्राष्टक, शिवमहिम्र
स्त्रोत, पंचाक्षरी मंत्र
का पाठ और जप करें
या कराएं।
- आरती के बाद पूजा में हुई
गलतियों के लिए
क्षमा मांगे और
मनौती करें। - शिव
की पंचामृत पूजा ब्राह्मण
से कराने पर पूर्ण फल
तभी मिलता है जब दान -
दक्षिणा भेंट की जाए। इसलिए
ऐसा करना न भूलें।

No comments:

Post a Comment

नई पोस्ट

हिन्दु धर्म ने ही विश्व को सहिष्णुता का पाठ पढ़ाया

____________________________________________ हिन्दू-धर्मका हित-साधन प्रकार ही विश्वके समस्त धर्मों एवं वर्गोसे भिन्न है। यहाँ किसीको हिन्दू ...