Friday, February 4, 2011

जय श्री हनुमान

हमारे सनातन धर्कम मे रुद्हारा अवतार हनुमान सदैव विराजमान है ,मनुष्य हो या देवी,देवता सभी के कार्य को सम्पन्न करते है हनुमान जी। राम भक्त ,दुर्गा भक्त हो या शिव भक्त,सभी मार्गो मे परम सहायक होते है हनुमान। ये शिव अंश भी ,शिव पुत्र भी है राम के भक्त भी वही सीता के पुत्र हैं।ये कपि मुख है ,वही पंचमुख,सप्तमुख,और ग्यारहमुख धारण करने वाले है।ये सभी जगह सूपूजित है कारण ये संकटमोचन है। माता ,पिता के लिए अपने संतान से प्यारा कोई नही होता ,जैसै गौरी पुत्र गणेश है,वही शिवांश देवी पुत्र बटुक भैरव है वही शिवांश राम भक्त हनुमान जी है।


कहाँ गया है कि बिना गुरु
ज्ञान नही होता है
वही बिना कुल देवता के
कृपा बिना किसी अन्य देव
की कृपा प्राप्त
नहीं होती है। प्रथम
श्री गणेश को स्मरण पूजन
किए
बिना पूजा प्रारम्भनहीं होता हैं।
महाविद्या की साधना करनी हो ,वहाँ बिना बटुक
कृपा आगे बढ़ना कठिन है।
असली माता पिता के पास ये
पुत्र ही पहुँचा सकते
है ,परन्तु अपने इस जीवन के
माता पिता की सेवा तथा आदर
किए बिना यह संभव
ही नहीं है।जीवन के
बाधा ,संकट का निवारण न
हो तो धर्म मार्ग में
बढ़ना दुष्कर है।
मूर्ति पूजा हो या निंरकार,परन्तु
सत्य यही है कि परमात्मा एक
हैं ,तभी तो कहा गया है
कि सत्यम,शिवम, सुन्दरम।
सत्य ही शिव है,शिव
ही सुन्दर है बाकी सब गौण।
एक शिव ही सृष्टि में सत्य
है ,वही क्रिया शक्ति,चित
शक्ति एवं इच्छा शक्ति के
रुप में अर्धनारीश्वर
है ,शिव के बायें भाग में
शक्ति हैं,वही शिव के एक
रुप है हरि हरात्मक आधा शिव
आधा विष्णु ,ये शिव की अलग
अलग लीला एंव रुप है।शिव
सुन्दर है
वही उनकी शक्ति सुन्दरी के
नाम से विख्यात है ,फिर
तो शिव के द्वारा रचित
श्री रामायण का हनुमत
कान्ड को उन्होंने सुन्दर
कान्ड का नाम रखा ,यह विशेष
रहस्यपूर्ण है।सुन्दर
कान्ड के प्रत्येक श्लोक
का अर्थ समझेगे तो उस शिव
के सुन्दर रुप का मर्म समझ
में आ जायेगा।सुन्दर कान्ड
का पाठ जहाँ होता है सारे
अभाव,पाप,रोग विकार
स्वतःनष्ट होने
लगता है ,हमे सिर्फ पूर्ण
श्रद्धा से होकर पाठ
करना चाहिए।पाठ से पूर्व
हमें क्या करना चाहिए यह
भी महत्वपूर्ण है। सुन्दर
कान्ड मे
शिवशक्ति ,सीताराम,वरदान,बल,धन,शुभ,दमन,अहंकार
का विसर्जन,भक्ति की परकाष्टा,प्रेम,मिलन
विश्वास,धैर्य,बौद्धिक
विकास क्यों नहीं प्राप्त
किया जा सकता हैं।हमारे
हनुमान जी वे सत्यम शिव के
सुन्दर ,लीलाधर
हैं,सभी उनके कृपा से
प्राप्त हो जाता है।हनुमत
उपासना व्यापक है ,हर कार्य
सुलभ है।प्रथम गुरु,गणेश
का पूजन कर राम परिवार
ऋषि पूजन कर हनुमत
उपासना करने से ही पूर्ण
सफलता प्राप्त होती है।मैं
हनुमत का विशेष पाठ प्रयोग
लिख रहा हूँ ,जो चमत्कारिक
है और पूर्ण फल प्रदान
करनें मे सक्षम ।
श्री रामायण के प्रथम
रचनाकार शिव है फिर
ऋषि बाल्मिकी ,फिर
गोस्वामी तुलसीदास जी है ।
मंत्र कवच के
ऋषि देवता भिन्न भिन्न है।
बजरंग बाण जो प्राप्त
होता है वह भी अधुरा हैं।
फिर भी लोगों को लाभ
मिलता है। एक एक अक्षर
शक्ति सम्पन्न है।
श्री हनुमान जी शिवांश है
परन्तु वैष्णव परिवार से
है इस कारण इनके पूजा में
मांस ,मदिरा,स्त्री भोग
वर्जित है।गृहस्थ आश्रम के
भक्त इन्हें अधिक प्रिय है
परन्तु साधना काल में नियम
का पालन अवश्य करे।
स्त्री भक्त मासिक धर्म
में इनकी साधना न करें।
श्री हनुमान चालीसा बहुत
प्रभावी एवं प्रचलित हैं,
शनिग्रह से प्रभावित
हो या राहुकेतु से भूत
पिशाच हो या रोग
व्याधि नित्य१ ,३,७,११,२१,३१,५१,१०८
बार पाठ करने से
कामना पूर्ण होती है।यह
परिक्षित है।श्री शिव
पार्वती सहित गणेश नमस्कार
कर ,सीताराम,सपरिवार
का ध्यान कर
श्री गोस्वामी तुलसीदास
जी को प्रणाम करे ,।विशेष
लाभ के लिए तिल का तेल और
चमेली का तेल मिलाकर लाल
बती का दीपक
लगा लें ,पूर्व,उतर मुख करके
थोड़ा गुड़,का लड्डू
या किशमिश का प्रसाद अर्पण
कर पाठ आरम्भ करें।कुछ
विशेष मंत्र
का विधि प्रयोग दे
रहा हूँ ,इससे अवश्य
कामना या संकट का निवारण
होता है।
१ . भयंकर,आपति आने पर
हनुमान जी का ध्यान करके
रूद्राक्ष माला पर १०८ बार
जप करने से कुछ
ही दिनों में सब कुछ
सामान्य हो जाता है।
मंत्र :-त्वमस्मिन् कार्य
निर्वाहे प्रमाणं हरि सतम।
तस्य चिन्तयतो यत्नों दुःख
क्षय करो भवेत्॥
२ . शत्रु,रोग
हो या दरिद्रता,बंधन
हो या भय निम्न मंत्र का जप
बेजोड़ है ,इनसे
छुटकारा दिलाने में यह
प्रयोग अनूभुत है।नित्य
पाँच
लौंग ,सिनदुर,तुलसी पत्र के
साथ अर्पण कर सामान्य मे एक
माला ,विशेष में पाँच
या ग्यारह माला का जप करें।
कार्य पूर्ण होने पर
१०८बार ,गूगूल,तिल धूप,गुड़
का हवन कर लें।आपद काल में
मानसिक जप से भी संकट
का निवारण होता है।
मंत्र :-मर्कटेश महोत्साह
सर्व शोक विनाशनं,शत्रु
संहार माम रक्ष श्रियम
दापय में प्रभो॥
३ . अनेकानेक रोग से भी लोग
परेशान रहते है,इस कारण
श्री हनुमान जी का तीव्र
रोग हर मंत्र का जप
करनें ,जल,दवा अभिमंत्रित
कर पीने से असाध्य रोग
भी दूर होता है। तांबा के
पात्र में जल भरकर सामने रख
श्री हनुमान जी का ध्यान कर
मंत्र जप कर जलपान करने से
शीघ्र रोग दूर होता है।
श्री हनुमान
जी का सप्तमुखी ध्यान कर
मंत्र जप करें।
मंत्र :-ॐ नमो भगवते सप्त
वदनाय षष्ट गोमुखाय,सूर्य
रुपाय सर्व रोग हराय
मुक्तिदात्रे ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ॥

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